Monday, August 9, 2010

स्वयंवर 2010 – एक इमोशनल अत्याचार

-मथुरा जी, नाटक कर रहे हैं? बहुत अच्छा कर रहे हैं।
-धन्यवाद। 
-कौन सा नाटक कर रहे हैं? 
-स्वयंवर 2010।  
-अरे आप टीवी में कब से बनाने लगे। बताया ही नहीं। हम को भी चांस दीजिए न। हा हा हा।  
-स्वयंवर 2010 नाटक है। रंगशाला में खेला जा रहा है। 
-आछा। हम समझे रियेल्टी शो टाइप का कुछ है। कामेडी है? 
-जी नहीं। ड्रामा है। 
-वो तो हम समझ गये हैं कि यह ड्रामा है यानी नाटक है। 
-हम पूछ रहे थे कि कामेडी है क्या? 
 -कामेडी नहीं है। भावना प्रधान नाटक है। 
-आछा। हँसी का एक्को सीन नहीं है क्या? 
-है न। गंभीर नाटक है पर हँसी के सीन भी हैं। 
-नाटक में हँसी के सीन हैं तो नाटक कामेडी हुआ न। आपने हमको उलझा दिया। नाटक का नाम 2010 है तो कामेडी ही होना चाहिये। 
 -2010 नहीं, स्वयंवर 2010।
-वही। खाली स्वयंवर से ही पता चलता है कि नाटक कामेडी है। अब आप नाम रखे है स्वयंवर 2010, शक की कोई गुंजाइश ही नहीं। नाटक कामेडी ही होगा। आप नाटक में भले ही कुछ विचार-उचार रख दिए होंगे। 
-आप नाटक देखेंगे तो पता चल जाएगा। 
-अरे काहे नहीं देखेंगे। आपका नाटक है हम जरूर देखेंगे।
कितना टिकट रखे हैं? 
-100 रुपया। बहुत अच्छा है। हमको तो आप पास देते ही हैं। इस बार एक पास एक्स्ट्रा दीजिएगा। महेश बाबू को भी हम साथ में ले आयेंगे। आपके लिये नाटक के दर्शक जो बढ़ाने हैं।