Wednesday, September 27, 2017

Kayapalat by Kalayan

Monday, June 26, 2017

कुछ छूट गया

करने को बहुत है और समय है बहुत कम
कुछ न कुछ छूट ही जाता है
अब छूट ही गया तो ऐसा भी कुछ नहीं
न शोर हुआ, न धमाका हुआ और
न दुनिया ही रुकी
फिर भी अपराध-बोध होता है कि
कुछ छूट गया
बहुत दिनों से यह चिट्ठा छूटा हुआ है।